कृष्ण जन्माष्टमी पर कैसे करें पूजन
सभी दृष्टि से कृष्ण पूर्णावतार हैं। आध्यात्मिक, नैतिक या दूसरी किसी भी दृष्टि से देखेंगे तो मालूम होगा कि कृष्ण जैसा समाज उद्धारक दूसरा कोई पैदा हुआ ही नहीं है।
जब-जब भी धर्म का पतन हुआ है और धरती पर असुरों के अत्याचार बढ़े हैं तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है।
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्यरात्रि कोअत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था। ऐसे भगवान कृष्ण के व्रत-पूजन से संबंधित जानकारी प्रस्तुत है:-
कैसे करें व्रत-पूजन :
- उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं। पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल,संधि, भूत, पवन,दिक्पति, भूमि, आकाश,खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।
- इसके बाद जल, फल,कुश और गंध लेकर संकल्प करें :
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें।
- तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो।
- इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें।
- पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए।
फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें :-
'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।'
अंत में रतजगा रखकर भजन-कीर्तन करें। साथ ही प्रसाद वितरण करके कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएं।
सभी दृष्टि से कृष्ण पूर्णावतार हैं। आध्यात्मिक, नैतिक या दूसरी किसी भी दृष्टि से देखेंगे तो मालूम होगा कि कृष्ण जैसा समाज उद्धारक दूसरा कोई पैदा हुआ ही नहीं है।
जब-जब भी धर्म का पतन हुआ है और धरती पर असुरों के अत्याचार बढ़े हैं तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है।
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्यरात्रि कोअत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था। ऐसे भगवान कृष्ण के व्रत-पूजन से संबंधित जानकारी प्रस्तुत है:-
कैसे करें व्रत-पूजन :
- उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
- इसके बाद जल, फल,कुश और गंध लेकर संकल्प करें :
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें।
- तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो।
- इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें।
- पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए।
फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें :-
'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।'
अंत में रतजगा रखकर भजन-कीर्तन करें। साथ ही प्रसाद वितरण करके कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएं।
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